लखनऊ के गुडम्बा रोड पर भूतों की बारात का सामना: एक सच्ची कहानी
एक डरावनी रात: गुडम्बा रोड पर भूतों की बारात का अनुभव
एक आठ किलोमीटर लंबा रास्ता जो एक घने जंगल के बीच से होके निकलता है। रास्ते की चौड़ाई काफी कम है और शॉर्टकट लेने के चक्कर में कई बार लोग इस रास्ते का इस्तेमाल कर लेते हैं।
वैसे आठ किलोमीटर कोई ज्यादा तो नहीं है पर जब रात के अंधेरे में आप किसी जंगल से हो के जा रहे हो तो आठ किलोमीटर का सफर काफी लंबा लगने लगता है। बताया जाता है इस रास्ते पर कई तरह की एक्टिविटी होती देखी गई है। लूटपाट का डर अलग बना रहता है। पर इन सब कहानियों से हट के यहाँ एक ट्रक ड्राइवर ने जो अपनी आपबीती बताई वो रोंगटे खड़े कर देती है।
जिस रास्ते की हम बात कर रहे हैं, ये है लखनऊ का गुडम्बा रोड। इसकी कहानी मैंने पहले भी आपसे शेयर की थी। दस जनवरी दो हजार तेईस की ये बात है।
एक ट्रक ड्राइवर रात को ईंटों से भरा हुआ ट्रक इसी रास्ते से लेके जा रहा था। उसने ये रास्ता जल्दी पहुँचने के चलते ले लिया। ड्राइवर को यहाँ की कहानियाँ पता थी पर ना चाहते हुए भी उस रात उनसे एक गलती हो गयी।
ट्रक अपनी normal speed में था। लखनऊ की तरफ से आते हुए गुडम्बा रोड के main gate से गाड़ी अंदर निकाल ली। जनवरी की बात थी और ठंड काफी ज्यादा थी उस वक्त। रात के बज रहे थे तीन। ठंड की वजह से कोहरे की चादर उस जंगल पे बिछी हुई थी।
रास्ते में जहाँ पर भी नजर गयी, चारों तरफ घुप अँधेरा और सन्नाटा पसरा पड़ा था। ट्रक की speed ज्यादा भी नहीं कर सकते थे क्योंकि रास्ता काफी पतला था। बीच से एक सड़क जा रही थी और उसके दोनों side कच्चा रास्ता। अगर ज़रा भी उस कच्चे रास्ते पर गाड़ी गयी तो मिट्टी में धसकर वो ट्रक पलट सकता है क्योंकि ईंटों का वजन काफी ज्यादा था।
ड्राइवर ने बताया जब मैं उस रास्ते से जा रहा था तो एक जगह आ के मुझे ट्रक से काफी दूर बीच सड़क कुछ रौशनी सी दिखाई दे रही थी। और वो रोशनी कोहरे की वजह से फैल रही थी। जैसे आपने देखा जब कभी धुंध होती है तो गाड़ी की light उसमें फैल जाती है।
मैंने सामने उस रौशनी को देख के ट्रक थोड़ा धीमा कर लिया और जैसे जैसे मैं उस रोशनी के करीब जा रहा था, वहाँ मुझे कुछ लोग नजर आए। एक नहीं, दो नहीं, वहाँ काफी सारे लोग थे जो नाचते गाते सामने उस रास्ते पर आगे की तरफ जा रहे थे। मैं धीरे धीरे उनके पीछे अपने ट्रक को चला रहा था।
उन लोगों ने पूरी सड़क घेरी हुई थी। ऐसा लग रहा था जैसे किसी की बरात निकल रही हो। इस बरात में बच्चे, बूढ़े, औरतें, जवान आदमी सब थे। मेरा ट्रक उनसे सौ मीटर की दूरी पर रहा होगा।
और वो चलते-चलते अचानक से रुक गए। मैंने देखा कि वो लोग नाच रहे हैं पर किसी भी तरह की मुझे आवाज नहीं आ रही थी। मतलब अगर कोई बरात होगी तो बैंड बाजे की आवाज आएगी ही ना? ऐसी कोई आवाज़ मुझे नहीं आ रही थी। वो लोग काफी देर तक एक ही जगह पर खड़े खड़े नाचते रहे।
मैंने उस वक्त ट्रक रोका हुआ था। सामने की headlight भी low beam पर चलाई हुई थी। मैं इंतजार करता रहा कि अब हटेंगे, अब हटेंगे पर ना तो वो रास्ते से हटे, ना इतनी देर से मुझे यहाँ कोई गाड़ी नज़र आयी।
ट्रक के पिछले हिस्से में सामान load था और मेरे पीछे वाले cabin में मेरा helper सो रहा था। काफी देर तक ट्रक खड़े रहने के बाद उसने पीछे से खटखटाया। "काफी देर से ट्रक यहाँ खड़ा है। हम लोग पहुँच गए क्या?"
मैंने कहा "नहीं, आगे एक Baraat जा रही है, उनकी वजह से रुके पड़े हैं।" मैं भी परेशान हो गया था। ट्रक का horn बजाया। उनमें से किसी ने भी ध्यान नहीं दिया। मेरे helper ने मुझसे पूछा, "इस वक्त हम कहाँ हैं?" मैंने उसे बताया "अभी गुडम्बा के आधे रास्ते पर खड़े हैं।"
उससे बात करते करते मैंने headlight high beam पर जलाई और dipper मारने लगा। मेरे helper ने कहा "रुको मैं देखता हूँ।" उसने अपने cabin से गर्दन बाहर निकाल के देखा। मैं उसे mirror में देख रहा था। वो देखते ही अंदर आके मेरे पास आके कहने लगा "आप ट्रक को धीरे धीरे करके वापस घुमा लो। हम जो देख रहे हैं वो कोई आम चीज नहीं है। ये किसी किसी को दिखाई देती है और मैं जितना सही हूँ, ये भूतों की बारात है। जिनके सामने कोई भी हरकत करना ठीक नहीं। बचपन में कई बार मैंने भूतों की बारात के बारे में सुना था पर आज पहली बार देख रहा हूँ।"
उसकी बात सुनते ही मैंने ट्रक की लाइट बंद कर दी। और ट्रक को धीरे-धीरे पीछे लेने लगा। रास्ता इतना पतला था कि मैं ट्रक को घुमा भी नहीं सकता था। बैक गियर में लगा के मैं ट्रक की स्पीड बढ़ाता हूँ। पीछे देखते-देखते अचानक मेरे हाथ से हेडलाइट ऑन हो जाती है।
एकदम से on हुई headlight की रौशनी में दिखाई पड़ा, वो सारे लोग जो अभी तक आगे की तरफ जा रहे थे अब ट्रक की तरफ आने लगते हैं। जैसे जैसे मैं ट्रक की speed बढ़ा रहा था, वो लोग भी भागते भागते हमारी तरफ आने लगते हैं।
back gear में लगा के ज्यादा तेज चला भी नहीं सकता था। बहुत मुश्किल होता है। ऊपर से रात का अँधेरा इतना कि आपकी हालत खराब हो जाए। मेरा truck भी अच्छा खासा बड़ा था।
भागते भागते दो बच्चे और एक आदमी truck के ऊपर चढ़ गए। मेरे helper ने पीछे से gate को अच्छे से बंद कर लिया। मैंने भी cabin के gate बंद किए और शीशे ऊपर तक चढ़ा लिए। मैंने ट्रक को कहीं भी नहीं रोका। मैं घबराया हुआ था और बाहर से हमारी तरफ आते उन लोगों की आवाज मुझे सुनाई दे रही थी। वो सैकड़ों की तादाद में थे।
ऊपर से वो दो बच्चे और वो आदमी जोर-जोर से हाथ मारने लगे मेरे cabin की छत पर। उनके हाथों के निशान मैंने देखे। अगर जल्दी से ट्रक यहाँ से बाहर नहीं निकला तो ये लोग हमें मार डालेंगे।
गाड़ी back करते हुए मुझे एक जगह दिखाई दी जहाँ से मैं ट्रक को घुमा सकता था। लेकिन डर ये भी था कि अगर मैंने ट्रक बैक करने की कोशिश की तो ये लोग हमारे ऊपर झपट पड़ेंगे। हम दोनों तरफ से मुसीबत में फंस चुके थे।
मैंने ट्रक का horn बजाया और बजाता रहा। उन लोगों के चीखने की आवाज आ रही थी। ट्रक के हॉर्न की आवाज उन्हें परेशान करने लगी। उन्होंने अपने दोनों कानों पे हाथ लगाया और भागते-भागते रुक गए।
मेरा helper अंदर से चिल्ला रहा था। मैंने उससे कहा "तू अंदर से gate को पकड़ ले।"
back करते करते मैंने truck को कच्चे रास्ते पर उतारा। उतारते ही उसे पीछे की तरफ घुमाने लगा। ट्रक भारी था और उसका दाहिना tyre मिट्टी में धस गया। मैं पूरी race देता हूँ, truck आगे बढ़ ही नहीं रहा था। फिर मैंने truck को थोड़ा और पीछे लिया और वो सारे भागते भागते truck के काफी पास आ चुके थे।
मैंने truck को पहले gear पे डाल के उसे खींचा और वो कच्चे रास्ते से ऊपर चढ़ के सड़क पर आ गया। मैंने truck का horn दबाए रखा। mirror में देख रहा था कि वो लोग पीछे ही है। मैं जितनी speed में सड़क चला सकता था, चला रहा था। धीरे-धीरे वो लोग पीछे छूटने लगे।
पर गाड़ी पर अभी भी तीन लोग थे। जब उन लोगों से काफी आगे हम आ पहुंचे तो मैंने एकदम से ब्रेक लगाए। तीनों सामने गिरे और मैंने truck उनके ऊपर से निकाल दिया। mirror में देख रहा था कि वो पीछे खड़े चिंगाड़ रहे थे।
truck अब उनसे काफी दूर आ चुका था और थोड़ी ही देर में अब हम उस जंगल के बाहर आ चुके थे। हमारे सामने एक PCR van खड़ी थी। आगे कुछ लोग नज़र आ रहे थे। हमें पता भी नहीं चला और रोशनी होने लगी थी। सुबह के साढ़े पाँच बजने को थे। मतलब हमारे साथ वो सब काफी देर तक होता रहा।
एक ढाबे के पास जाके हमने truck रोका कि हाथ मुँह धो लेते हैं और चाय पानी पीते हैं। जब हम truck से उतरे तो बाहर देखने पे पता चला ट्रक में गड्ढे पड़े हुए थे। जैसे किसी ने हथौड़े से ठोक दिया हो। जब वो लोग ट्रक की ये हालत कर सकते हैं तो अगर हम उनके हाथ लगते तो हमारा क्या होता?
इसके बाद कभी भी उस रास्ते को नहीं लिया और ऐसे जितने भी रास्ते हैं जहाँ की कहानियाँ बताई जाती हैं हम वहाँ से रात को जाते ही नहीं हैं।
इस वक्त जब मैं ये कहानी सुना रहा हूँ, imagine कर रहा हूँ, रात के घने अंधेरे में जंगल के बीच आप फंसे पड़े हो और आपको वहाँ भूतों की बारात दिखाई दे जाए और वो सब आपके पीछे पड़ जाए तो आपकी हालत क्या होगी? सोच के भी रोंगटे खड़े हो जाते हैं।
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